नमस्कार.
कई महीनो से दूसरो का ब्लॉग पढ़ते हुए कई बार इच्छा हुई की मैं भी ब्लॉग लिखू|
पर राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संसथान के विद्युतीय अभियांत्रिकी शाखा के इस छात्र के दिमाग में बचा ही क्या होगा| जिसका पूरा दिन transformers,motors,resistence,capacitance और amplifiers में बिताता है|जिसको साहित्य छोड़े तीन साल हो गए हो,अब यदि उस विद्यार्थी को ब्लॉग लिखने की इच्छा हो भी तो वो क्या करे?किसपे लिखे? खाली लोटे को जितनी मार लगाओ आवाज़ ही आयेगी,कभी उससे पानी नहीं गिराने वाला|और इस तरह इस मस्तिस्क रूपी खली लोटे से मेरी पानी निकालने की कोशिश एक बार फिर जवाब दे गयी|तभी किसी की सलाह ने मेरे दिमाग की बत्ती जलाई और मैंने सोचा क्यूँ ना अपने इस कमजोरी को अपना माध्यम बनाया जाये|क्यूँ ना अपने इस खालीपन को ही अपना विषय बनाया जाये?और इस तरह से शुरू हो गयी मेरी ब्लॉग-कथा|
खैर कुछ दिन पहले मैंने इंडिया टुडे में एक article पढ़ा,जिसमे कांग्रेसी मंत्रियों द्वारा मितव्ययिता के ढोंग पर टिपण्णी की गयी थी|जिसके पढ़ने के बाद सूखे के प्रति सरकारी दिखावे में सादगी के सरकारी उपायों पर यकीं पाना कठिन है|जहाँ सरकारी मंत्री अपनीं यात्रा के दर्जे में कटौती कर खर्च काम करने का ढोंग कर रहें हैं वही उनके आवास और दफ्तरों के सजावट पर की जाने वाली खर्च की सीमा बधाई जा रही है|मंत्रियों के काफिलों में चलने वाली गाड़ियों और कर्मचारियों की संख्या में कोई कटौती नहीं है|पर ये सब कोई नई बात नहीं है|दिखावे की राजनीती कांग्रेस बहुत पहले से करते आई है|महिलाओं के समर्थन पाने के लिए उसने राष्ट्रपति के लिए महिला उम्मीदवार को खड़ा किया,मुस्लिम समर्थन हेतु उपराष्ट्रपति मो. हामिद अंसारी को आगे लाया गया तो दलितों की सहानुभूति का इक्का हमारी लोकसभा अध्यक्ष बनी|तो फिर आज सूखे का इस्तेमाल अपनी राजनितिक छवि सुधारने के लिए करना कांग्रेस के लिए कोई नई बात नहीं है|
1 comment:
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.
अपनी कमजोरी को अपना हथियार बनाने का ये अंदाज़ बड़ा ही रोचक और सकारात्मक है.
खुदा से दुआ है ब्लॉग दुनिया में आप मनचाहे ऊंचाई को छुए.
पहले ब्लॉग से ही आपके राजनितिक तेवर देश को एक जागरूक ब्लॉगर के उद्भव का सन्देश देता है.
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